हिमाचल प्रदेश में चेरी की बंपर फसल, बागवान बागबाग

हिमाचल प्रदेश में चेरी की बंपर फसल, बागवान बागबाग

शिमला
हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड के प्रबंध निदेशक नरेश ठाकुर के अनुसार पिछले साल 350 मीट्रिक टन चेरी मंडियों में बिकी थी। इस बार बारिश होती है तो चेरी का उत्पादन 375 मीट्रिक टन तक होगा।
चेरी

हिमाचल प्रदेश में इस साल चेरी का उत्पादन 25 मीट्रिक टन बढ़ने के आसार हैं। मौसम अनुकूल रहा तो शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा, किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिलों में इस बार अच्छी पैदावार होगी। प्रदेश में सेब के साथ ही चेरी उत्पादन बागवानों की आर्थिकी में अहम भूमिका निभा रहा है। हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड के प्रबंध निदेशक नरेश ठाकुर के अनुसार पिछले साल 350 मीट्रिक टन चेरी मंडियों में बिकी थी। इस बार बारिश होती है तो चेरी का उत्पादन 375 मीट्रिक टन तक होगा। राज्य में रिलायंस, बिग बास्केट जैसे बड़ी कंपनियां चेरी की खरीद करती हैं।

चेरी की कई किस्में मध्य और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगाई जाती हैं। दस हजार से अधिक छोटे, मध्य और बड़े बागवान चेरी उगा रहे हैं। शिमला जिले में नारकंडा, कोटगढ़, बागी, मतियाना, कुमारसैन और थानाधार चेरी की पैदावार के केंद्र हैं। सेब उगाने वाले क्षेत्रों में चेरी की फसल एक विकल्प के रूप में उभरी है। अन्य फ लों की तुलना में चेरी को काफी अधिक कीमत मिलती रही है। चेरी 150 से 350 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकती है।

चेरी समुद्रतल से 2100 मीटर की ऊंचाई से अधिक इलाकों में पैदा होती है। मीठी चेरी को अन्य फ लों की अपेक्षा बहुत कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। चेरी के पेड़ लगाने के पांच साल बाद फ ल देना आरंभ कर देते हैं। अच्छी देखभाल से 50 साल तक फ ल ले सकते हैं। एक पेड़ पर औसत 25 किलोग्राम फ ल पैदा होते हैं।

मई में तैयार होती है फसल
मई में चेरी की फ सल तैयार होती है। इसका तुड़ान एक माह में करके बाजार में तुरंत बेचना पड़ता है। चेरी का सीजन सिर्फ एक माह तक चलता है। इसे ज्यादा समय तक भंडारण करने की व्यवस्था फिलहाल नहीं है।

ये हैं चेरी की किस्में
ड्यूरो नेरा, स्टेला, मर्चेंट, फ्रोगमोर अर्ली, ब्लैक हार्ट, बेडफ ोर्ड, प्रोलोफि क, इंपरर, फ्रैं सिस और सेल्सियस।

चेरी में कई औषधीय गुण
चेरी उच्च एंटी ऑक्सीडेंट मूल्यों और पोटाशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम से भरपूर है। इस कारण से चेरी की मांग अधिक रहती है। कोविड-19 महामारी के बीच इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए चेरी की मांग बढ़ गई थी।

हिमाचल में चेरी उत्पादन
वर्ष मीट्रिक टन में
2018-19 250
2019-20 275
2020-21 300
2021-22 350
2022-23 375 (अनुमानित)

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